नकारात्मक और दुष्प्रचार की राजनीति का खामियाजा भुगत रहा बिहार- राजद

पटना। राजद के प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन, मृत्युंजय तिवारी, एजाज अहमद एवं सारिका पासवान ने कहा कि भाजपा और जदयू के नकारात्मक और दुष्प्रचार की राजनीति का खमियाजा आज बिहार को भुगतना पड़ रहा है।उक्त नेताओं ने कहा कि कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। सुशासनी सरकार और पुलिस हुक्मरानों द्वारा अपराध नियंत्रण पर हर दावे और उच्च स्तरीय समीक्षा के बाद भी राज्य में हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, छेडख़ानी और बलात्कार की एक श्रृंखला सी बन गई है। राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि राज्य की वर्तमान सरकार का बुनियाद हीं दुष्प्रचार, झूठे दावे और नकारात्मक सोच पर टिका हुआ है।

जिस वजह से संज्ञेय अपराध के मामले में बिहार आज चौथे स्थान पर पहुँच गया है। वास्तविक स्थिति तो यह है कि राजद शासनकाल की तुलना मे एनडीए शासनकाल में सभी प्रकार के अपराधों में तीन से चार गुना की बढोत्तरी हुई है। विशेष कर महिलाओं के खिलाफ अपराध में तो अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार सरकार और एनसीआरबी के आंकड़ों को ही आधार मान लिया जाए तो राजद शासनकाल मे प्रतिघंटा औसत 11 संज्ञेय अपराध दर्ज होते थे। वहीं एनडीए की सरकार में दर्ज होने वाली संज्ञेय अपराध की संख्या प्रतिघंटा औसत 21 यानी राजद शासनकाल से लगभग दुगुना हो गया। बलात्कार की घटनाओं में सौ प्रतिशत बढ़ोत्तरी के साथ प्रतिदिन 4 मामले दर्ज हुये जबकि राजद शासनकाल में प्रतिदिन का औसत 2 है।

राजद शासनकाल में प्रतिदिन अपहरण की औसतन 4 घटनाएं दर्ज हैं वहीं एनडीए शासनकाल में चौगुना बढ़ोतरी के साथ प्रतिदिन औसत 16 घटनायें दर्ज हुईं है। एनडीए शासनकाल में वर्ष 2020 तक फि रौती के लिए 1028 मामले दर्ज किए गए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि राजद शासनकाल में रिकवरी रेट जहाँ 97 प्रतिशत था वहीं एनडीए शासनकाल में वह घटकर 43 प्रतिशत हो गया यानी 57 प्रतिशत अपहृतों की हत्या कर दी गई। सरकारी आँकड़ों के अनुसार एनडीए शासनकाल में औसतन प्रतिदिन 9 लोगों की हत्या कर दी जाती है। राजद शासनकाल में चोरी की घटना प्रतिदिन औसत के हिसाब से जहाँ 28 है वहीं एनडीए शासनकाल में 58 यानी दुगुना से भी ज्यादा है। एनडीए शासनकाल में महिलाओं पर जुल्म और अत्याचार में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी हुई है। एनसीआरबी द्वारा महिला उत्पीडऩ को लेकर जो 2019 का रिपोर्ट जारी किया गया है उसके अनुसार गैंगरेप के बाद हत्या की चार घटनाओं के अलावा बलात्कार की 730 और बलात्कार के प्रयास का 110 के साथ हीं एसीड अटैक की 7 घटनाएं दर्ज हुईं। महिला अपहरण और एसीड अटैक में बिहार का स्थान तीसरा के साथ हीं महिला उत्पीडऩ में बिहार चौथे स्थान पर है। अपराध का रफ्तार दिन प्रतिदिन बढता हीं जा रहा है।

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि एनडीए शासन की इससे बड़ी अक्षमता और क्या होगी कि अभियुक्तों को सजा दिलवाने के मामले में बिहार सबसे निचले पायदान पर है। एनसीआरबी के अनुसार बिहार का कनविक्सन रेट 6ण्1 प्रतिशत है। राजद नेताओं ने कहा कि भाजपा और जदयू के नेता झूठ और दुष्प्रचार को हथियार बना कर सत्ता में आये और फ र्जी आंकड़े पेश कर पिछले 16 वर्षों से लोगों को गुमराह करते आ रहे हैं। पर वे तथ्यों और सही आंकड़ों पर बहस नहीं कर सकते। विरासत में मिली नरसंहारों के दौर को राजद शासनकाल में नियंत्रित किया गया और बिहार में नरसंहारों का दौर रुक गया।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि अपनी कमजोरी और नाकामियों को छुपाने के लिए भाजपा और जदयू के नेता सोलह साल पूर्व की सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यह तो राजद शासनकाल की ही देन थी कि अबतक हुए सभी नरसंहारों के अभियुक्तों को निचली अदालतों से सजा दिया गया पर एनडीए सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में सही ढंग से अपना पक्ष नहीं रखने के कारण सभी अभियुक्त दोषमुक्त हो गये। यदि पुलिस अनुसंधान कमजोर रहता तो वे निचली अदालत से ही दोषमुक्त हो गये रहते। जो लोग नरसंहारों की राजनीति करते हैं वे आज सत्ता में बैठे हैं। इस मौके पर राजद नेता चन्देश्वर प्रसाद सिंह, संजय यादव एवं अन्य राजद नेता उपस्थित थे।

श्वेता / पटना

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